हाईकोर्ट पंहुचा दंतैल हाथी मामला! कोर्ट ने वन विभाग से मांगा जवाब, याचिकाकर्ता ने बताया कानून का उल्लंघन…दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बुधवार की रात कुदमुरा रेस्ट हाउस से दंतैल हाथी गणेश चेन तोड़ कर भाग जाने को लेकर याचिका दायर की गई है, याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि गणेश नामक हाथी को 23 जुलाई को पकड़ा गया था जो कि कल रात को चेन तोड़ के चला गया है उसके पांव में चेन बंधी होने के कारण तकलीफ में है, इस पर माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की माननीय मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति पी पी साहू साहू की युगल पीठ ने आदेशित किया कि वन विभाग जवाब प्रस्तुत करें |
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आज गणेश हाथी को लेकर याचिका दायर की गई. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि गणेश नामक हाथी को 23 जुलाई को पकड़ा गया था जो कि कल रात को चेन तोड़ के चला गया है उसके पांव में चेन बंधी होने के कारण तकलीफ में है. इस पर माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की माननीय मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति पी पी साहू साहू की युगल पीठ ने आदेशित किया कि वन विभाग जवाब प्रस्तुत करें |
याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने याचिका क्रमांक WPPIL/49/2019 में प्रार्थना की है कि छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) ने गणेश हाथी को पकड़कर छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के रमकोला के तमोर स्थित एलीफेंट रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर में रखने का आदेश दिया है, जबकि हाथी रवास क्षेत्र वाले वन में उसके पुनर्वास का पहले प्रयत्न किया जाना वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के अनुसार अनिवार्य है. यह प्रयत्न वन विभाग द्वारा ना करके सीधे गणेश को बंधक बनाने को कानून का उल्लंघन बताया |
याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायालय को बताया गया की सूरजपुर जिले के तमोर स्थित एलीफेंट रेस्क्यू रीहैबिलिटेशन सेंटर अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है इसे केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से संचालन की अनुमति प्राप्त नहीं है जबकि वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के अनुसार किसी भी रेस्क्यू सेंटर के संचालन के पूर्व सेंट्रल जू अथॉरिटी की अनुमति आवश्यक होती है |
याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया है कि छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा पूर्व में भी सोनू नामक हाथी को बंधक बनाकर रखा गया जिसे माननीय न्यायालय ने वन में पुनर्वास करने के आदेश देने के बावजूद भी पिछले 4 वर्षों में उसे पुनर्वासी करने के लिए वन विभाग ने कोई प्रयत्न नहीं किया है. प्रकरण में वन विभाग को 2 सप्ताह के अंतर जवाब देने के लिए आदेशित किया गया है |