Health Tips in Hindi; सावधान ! बारिश वाली बीमारियां बन सकती है जानलेवा, मानसून में ऐसे रखें सेहत का ख्याल
Health Tips in Hindi. कुछ दिन बारिश और फिर कुछ दिन तेज गर्मी के बाद फिर बारिश का होना इस तरह के मौसम और तापमान में बार-बार हो रहे परिवर्तन के कारण कई तरह की बीमारियों के बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है, मौसम में बदलाव की वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं, मॉनसून में संक्रमण फैलने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है, बारिश का मौसम अपने साथ कई बीमारियों को लेकर आता है, इनसे व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर पड़ने लगती है और संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, तो आइए जानते हैं मॉनसून में होने वाली कुछ बीमारियों के बारे में और वो तरीके जिनसे इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है.
गैस्ट्रोएन्टेरिटिस
बारिश के मौसम की सबसे आम बीमारी है गैस्ट्रोएन्टेरिटिस. यह बीमारी खराब खाने-पानी से होती है.. इसके लक्षणों में दस्त, पेट में दर्द, जी मिचलाना और उल्टी जैसी दिक्कतें शामिल हैं. अचानक दस्त शुरू होना, अक्सर पानी जैसा आना, और बुखार के साथ आना, आंत के संक्रमण का साफ संकेत है. अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी शरीर में पानी की कमी, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और गंभीर मामलों में किडनी फेल होने का कारण भी बन सकती है.
डेंगू
भारत में हर साल डेंगू से कई लोगों की मौत हो जाती है. यह फीमेल एडीज मच्छरों द्वारा फैलता जो आमतौर पर दिन के समय या शाम होने से पहले काटते हैं. इस बीमारी के लक्षणों में तेज बुखार के बाद शरीर में दर्द होना शामिल है. इससे प्रभावित व्यक्ति को अत्यधिक पसीना और सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मतली, उल्टी, थकान, चकत्ते और लो ब्लड प्रेशर का भी अनुभव हो सकता है. गंभीर मामलों में, रोगियों को पेशाब की परेशानी और सांस फूलने की समस्या हो सकती है. डेंगू के दौरान प्लेटलेट काउंट में गिरावट का खतरा होता है, जिस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह घातक साबित हो सकता है.
टायफाइड
यह मानसून से संबंधित अत्यधिक संक्रामक बीमारियों में से एक है. यह दूषित भोजन और पानी के कारण होता है और इसके लक्षणों में लंबे समय तक तेज बुखार, कमजोरी, पेट दर्द, भूख कम लगना शामिल हैं. सही इलाज ना मिलने पर परेशानी बढ़ सकती है.
मलेरिया
भारत के कई हिस्सों में बारिश के दौरान मलेरिया की बीमारी फैलती है. इसके लक्षणों में बार-बार तेज बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, जी मिचलाना और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं. अचानक बुखार का बढ़ना और फ्लू जैसे लक्षण, अक्सर कंपकंपी के साथ ठंड लगना, मलेरिया संक्रमण का संकेत है. अगर मलेरिया का इलाज ठीक समय पर न किया जाए तो यह गंभीर एनीमिया, सांस लेने में तकलीफ, ऑर्गन फेल और गंभीर मामलों में सेरेब्रल मलेरिया का कारण बन सकता है, जिससे मरीज कोमा में जा सकता है या फिर उसकी मौत भी हो सकती है.
हैजा
बारिश में हैजा का भी खतरा बढ़ जाता है. इसकी वजह से अचानक से दस्त, उल्टी और गंभीर डिहाइड्रेशन हो जाता है. धंसी हुई आंखें, मुंह सूखना, और पेशाब का कम आना हैजा के चेतावनी संकेत हैं. मुश्किलें तेज़ी से बढ़ सकती हैं, जिससे शॉक, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और गंभीर मामलों में अगर इलाज न किया जाए तो घंटों के भीतर मौत हो सकती है.
निमोनिया
मॉनसून का मौसम निमोनिया जैसी बीमारी को उत्तेजित करता है। निमोनिया पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस हवा में मौजूद होते हैं। यह सांस लेने की प्रतिक्रिया के तहत हमारे शरीर में प्रवेश करके हमे संक्रमित कर देते हैं। इसके कारण लंग्स में हवा भर जाती है और सूजन आ जाता है। यह फ्लुएड जमा होने का कारण बन सकता है। इस वायरस से जान भी जा सकती है। परंतु छोटे बच्चे और 65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों के प्रभावित होने की संभावना ज्यादा होती है। बुखार, ठंड लगना, थकान, भूख न लगना, अस्वस्थता, चिपचिपी त्वचा, पसीना, सीने में तेज दर्द, सांस लेने में समस्या होना इसके कुछ आम लक्षण हो सकते हैं।
त्वचा रोग
बारिश में व्यक्ति को चर्म रोग हो सकता है। इस मौसम में घमौरी, फोड़े-फुंसी आदि होना सामान्य बात है। त्वचा संबंधी ये बीमारियां फंगल इंफेक्शन होती हैं, जो नमी की वजह से समस्या खड़ी कर देती हैं। ऐसे में अक्सर लोगों को बारिश में खुजली, लाल त्वचा और जलन होती है।
बरसाती बीमारियों से बचने के उपाय
– सुनिश्चित करें आपको और आपके परिवार के सदस्यों को टीका लगाया गया है.
– अधिक पौष्टिक भोजन करें और जंक फूड के सेवन से बचें.
– हाइड्रेटेड रहें और गर्म और साफ पानी पिएं.
– अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity) को दुरुस्त रखने के लिए विटामिन लीजिए.
– अपने आस-पास साफ़-सफ़ाई रखें और कूलर के पानी को रोज बदलें.
– मच्छर भगाने वाली क्रीम, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
– फ्लू और खांसी जैसी इंफेक्शियस बीमारियों से बचने के लिए बाहर निकलते समय मास्क पहनें.
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो बरसात में क्रोनिक डिजीज ट्रिगर होने का खतरा और बढ़ जाता है, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर, टीबी और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को बरसात में ज्यादा सावधान रहना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों को किसी तरह का इंफेक्शन हो जाए, तो जानलेवा साबित हो सकता है,