राजनीति

Champai Soren: बीजेपी में शामिल होंगे पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, जानिए पूर्व CM ने BJP में शामिल होने का क्यों लिया फैसला

Champai Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने जा रहे है वे 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक रूप से बीजेपी में शामिल होंगे,चम्पाई 28 अगस्त को हेमंत कैबिनेट से इस्तीफा दे सकते हैं. इससे पहले 21 अगस्त को चम्पाई ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था. चम्पाई वर्तमान में JMM के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. वे 2005 से लगातार सरायकेला से विधायक हैं. उन्होंने 1991 में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता था. 1995 में JMM के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते थे।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने की वजह बताई है। उन्होंने कहा कि पहले मैंने सोचा था कि मैं संन्यास ले लूंगा। फिर मैंने सोचा कि नया संगठन बनाऊंगा लेकिन इसके लिए समय अभी कम है। बहुत मंथन करने के बाद मेरा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह पर विश्वास बढ़ गया है और भाजपा में शामिल होने का हमने निर्णय ले लिया है। भाजपा में मेरे साथ मेरा बेटा भी शामिल होगा।

5 महीने तक झारखंड के सीएम रहे चंपाई
दरअसल, हेमंत सोरेन खनन लीज के आवंटन में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग में पूछताछ के बाद हेमंत को 31 जनवरी की रात गिरफ्तार किया था. उन्होंने जेल जाने से पहले सीएम पद से इस्तीफा दिया. पार्टी विधायक दल की बैठक में चम्पाई सोरेन को नया नेता चुना गया. चम्पाई ने 2 फरवरी को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. हालांकि, करीब पांच महीने जेल में रहने के बाद हेमंत को जमानत मिल गई और वो रिहा हो गए. ऐसे में चम्पाई को कुर्सी छोड़नी पड़ी और 4 जुलाई को एक बार फिर हेमंत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस पूरे घटनाक्रम के बाद चम्पाई की नाराजगी खुलकर सामने आ गई है,चम्पाई का कहना है कि 3 जुलाई से पहले मेरे सीएम रहते सारे कार्यक्रम स्थगित किए गए. अपमान किया गया।

Champai Soren का कहना था कि मुझे विधायक दल की बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया. बैठक के दौरान मुझसे इस्तीफा मांगा गया. आत्म-सम्मान पर चोट लगने से भावुक हो गया हूं. पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में पहली बार भीतर से टूट गया हूं. तीन दिनों तक अपमानजनक व्यवहार किया गया. उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था. मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है. कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हमने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. इतने अपमान और तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया।

Back to top button
close