CG-ब्रेकिंग : हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 2021 पीएससी में चयनित निर्दोष 40 चयनित अभ्यर्थियों को 60 दिन में जॉइनिंग देने के निर्देश

मुख्य बिंदु:

सरकार को दिए निर्देश

40 निर्दोष अभ्यर्थियों को 60 दिन के भीतर नियुक्ति देने का आदेश

4 अभ्यर्थियों पर फर्जीवाड़ा का केस, चल रही सीबीआई जांच

कोर्ट ने कहा: बिना आरोप सिद्ध हुए नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता


बिलासपुर. 30 जुलाई 2025. छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) 2021 परीक्षा से जुड़े बहुचर्चित विवाद में बिलासपुर हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उन 40 चयनित अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है जिनका चयन डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी सहित अन्य प्रशासनिक पदों पर हुआ था, लेकिन फर्जीवाड़े के संदेह में उन्हें अब तक नियुक्ति नहीं दी गई थी।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है और जिन पर कोई चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है, उन्हें नियुक्ति से वंचित नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने ऐसे सभी 40 अभ्यर्थियों को अगले 60 दिनों के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश दिया है।

गौरतलब है कि PSC 2021 के 44 चयनित अभ्यर्थियों में से 4 पर दस्तावेजों की हेराफेरी और फर्जीवाड़ा का आरोप है। उनके खिलाफ सीबीआई जांच के बाद चालान भी पेश किया जा चुका है। वहीं शेष 40 अभ्यर्थियों को लेकर कोई ठोस आरोप सामने नहीं आया है, न ही उनके खिलाफ किसी जांच एजेंसी ने कोई मामला दर्ज किया है।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलील और कोर्ट का आदेश
राजीव श्रीवास्तव, मनोज शर्मा और शर्मिला सिंघवी जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं की ओर से पेश होकर याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ न तो कोई चार्जशीट दायर की गई है और न ही उनके खिलाफ भ्रष्टाचार या धांधली के कोई सबूत हैं। इन तथ्यों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि राज्य सरकार 60 दिनों के भीतर ऐसे अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान करे।

क्या है पूरा मामला?
2021 में PSC परीक्षा के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी जैसे प्रतिष्ठित पदों पर चयन किया गया था। लेकिन बाद में भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप लगने पर मामला CBI को सौंपा गया। जांच में केवल चार अभ्यर्थियों के खिलाफ ही पुख्ता सबूत मिले, जिनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया।

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