Saving Account Rules ; अगर आप भी अपने Saving Account में रखते हैं पैसे ! तो जान लें Income tax विभाग के ये नियम, देनी होगी जानकारी

डेस्क: आपके पास किसी न किसी बैंक में बचत खाता यानी की सेविंग अकाउंट तो होगा ही. आपका कोई न कोई बचत खाता UPI ट्रांजेक्शन से जुड़ा हुआ जरूर होगा. कभी-कभी आप इस खाते का यूज नकदी यानी की कैश जमा करने के लिए करते हैं तो कभी एक साथ बड़ी राशि की निकासी के लिए. लेकिन क्या आपको पता हैं कि इससे संबंधित कुछ नियम हैं जो आयकर विभाग (Income tax department) के नियमों व विनियमों के तहत आते हैं, इसलिए इनका पालन करना बेहद महत्वपूर्व है ताकि आगे आपको किसी प्रकार परेशानी को झेलना ना पड़े. चलिए जानते हैं IT के नियमों के बारें में.

ये नियम आतें हैं आयकर विभाग के अंतर्गत

बता दें, आयकर नियमों के मुताबिक,सेविंग अकाउंट में कैश जमा करने की एक समय-सीमा होती है. जिसका यह मतलब हुआ की आप 1 निर्धारित समय या अवधि में बैंक खाते में कितनी भी नकदी डिपाजिट कर सकते है. बता दें, यह सीमा नकद लेन-देन पर नजर रखने के लिए बनाई गई है. ताकि मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी के साथ दूसरे अवैध वित्तीय गतिविधियों को रोका जा सके.

चलिए जानते हैं Forbes के रिपोर्ट के बारे में

इस बारे में फोर्ब्स की एक रिपोर्ट की माने तो, यदि आप एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये या उससे अधिक राशि जमा करते हैं, तो इसकी जानकारी आपको आयकर विभाग को देनी अनिवार्य है. बरहाल, अगर आपका चालू खाता है, तो यह सीमा 50 लाख रुपये है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस नकदी पर फौरन कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन वित्तीय संस्थानों के लिए इन सीमाओं से ज्यादा के ट्रांसक्शन की जानकारी आयकर विभाग को देना नियम है.

यदि आप एक वित्तीय वर्ष में अपने बचत खाते से 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा की निकासी करते हैं तो उस पर 2% TDS काटा जाएगा. जिन भी लोगों ने बीते 3 वर्षो से ITR दायर नहीं किया है, उनके लिए 2% TDS काटा जाएगा, वह भी सिर्फ़ 20 लाख रुपये से ज़्यादा की निकासी पर. अगर ऐसे लोग इस विशेष वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ रुपये निकालते हैं, तो 5% TDS लगाया जाएगा. यह ध्यान देने योग्य है कि सेक्शन 194N के तहत काटे गए TDS को आय के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है, लेकिन आप इसे आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय क्रेडिट के रूप में इस्तेमाल कर सकते है.

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